लेखनी कहानी -24-Nov-2022 (यादों के झरोखे से :-भाग 12)
वैसे तो हमारे विद्यालय (जिसकी चर्चा मैंने पिछली पोस्ट में।की थी) के समस्त शिक्षक बहुत ही अच्छे एवम योग्य थे। परंतु, हमें भौतिक विज्ञान के शिक्षक जो पढ़ाते थे वह काम।समझ में आता था। इसीलिए मयनदीप ने हमारे लिए एक दीदी से बात की, जो हमें। भौतिक विज्ञान पढ़ाने को तैयार हो गई। नयनदीप भी मेरे ही मौहल्ले में रहती थी, और वो दीदी भी हमारे ही मौहल्ले में रहती थी। अतः शाम को हम दोनों ही उनसे पढ़ने जाने लगे।
वो दीदी हमें बहुत प्रेम से और अच्छे से पढ़ाती। अतः हमें उनसे पढ़ने में। बहुत मज़ा आता। हमारे विद्यालय में एक अध्यापिका थीं, जो हमें रसायनिक विज्ञान पढ़ाती थीं। विद्यालय बदलने के कारण मुझे दिक्कतें तो आ ही रही थीं। वो अध्यापिका मुझे रोज़ देखती थीं। एक दिन मेरे पास आकर बोलीं कि उन्हें मुझ पर पूरा विश्वास है कि मैं अपने जीवन में बहुत आगे जा सकती हूं। इसीलिए वे मुझे सम्पूर्ण सहयोग करने को तैयार थीं। अतः उन्होंने यही कहा कि यदि पढ़ाई में मुझे कुछ समस्या आती है तो मैं बेझिजक उनके पास जा सकती हूं। यह मेरे लिए किसी चमत्कार से कम नहीं था।
कुछ दिनों पश्चात् हमारे विद्यालय में एक मॉडल बनाने हेतु प्रावधान बताया गया। नयनदीप और मैं मिलकर मॉडल बनाने में जुट गए। हमने जो मॉडल बनाया वो हमारी अध्यापिका को बेहद पसंद आया। उन्होंने हमारी पीठ थपथपाई और हमारा मॉडल अपनी लैब में लगा दिया। उन्होंने हमारी अनुशंसा भी की यह कहकर कि हम बाकी विद्यार्थियों की तरह बाज़ार से मॉडल खरीद कर नहीं लाए। इस बात से वे बेहद प्रसन्न हुईं। मुझे सबसे अच्छी बात यह लगी कि उन्होंने मुझे दो साल बाद भी पहचान लिया और कहा कि मैं मेरे अच्छे विद्यार्थियों को कभी नहीं भूलती। उन्होंने हमें विद्यालय बुलाया और हमारा मॉडल दिखाते हुए कहा की अभी।भी उन्होंने हमारा मॉडल लैब में लगाया हुआ है। हमने मॉडल को इस तरह संरक्षित।किया था कि दो साल बाद भी वो नया का नया ही लग रहा था।
एक दिन हम दोनो सुबह जल्दी-जल्दी विद्यालय में अपनी कक्षा से प्रार्थना स्थल पर जा रहे थे। तभी पीछे से छोटी कक्षा को पढ़ाने वाली एक अध्यापिका ने हमें रोका और प्रार्थना में राष्ट्रीय गान गाने को कहा, क्योंकि जो विद्यार्थी रोज़ गाते थे उनमें दो विद्यार्थी कम थे। उस विद्यालय में रोज़ ढोलक और तबले और भी यंत्रों से प्रार्थना होती थी। संगीत वाले अध्यापक ने उनको मना करते हुए कहा कि इनसे क्यों कह रही हो ये दोनों प्रार्थना के समय सारा कार्यक्रम। बिगाड़ देंगें, क्योंकि इनकी प्रैक्टिस नहीं हैं। परंतु, वे अध्यापिका उनसे बोली कि उनके पास हमें चुनने के अलावा और कोई विकल्प भी नहीं था अथवा उन्हें हम पर पूर्ण विश्वास है कि हम सफलतापूर्वक यह कर लेंगे।
हम दोनों ने राष्ट्र गान प्रस्तुत किया और सभी ने उसकी खूब सराहना की। वे अध्यापिका उन अध्यापक से बोलीं देखा मैंने कहा था ना ये बच्चे कर लेंगे। उन अध्यापक ने भी हमारी बहुत प्रशंसा की।
Arina saif
03-Dec-2022 06:20 PM
Nice
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Swati Sharma
03-Dec-2022 07:18 PM
Thank you
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Sachin dev
03-Dec-2022 04:37 PM
Well done
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Swati Sharma
03-Dec-2022 07:18 PM
Thank you sir
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Abhinav ji
01-Dec-2022 07:53 AM
Very nice👍👍
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Swati Sharma
03-Dec-2022 07:17 PM
Thank you sir 🙏🏻😇💐
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